FIR full form,FIR ka full form,FIR kya hai,FIR kaise kare,FIR karne ke niyam
हेलो दोस्तों आज के पोस्ट में हम बात करेंगे FIR के बारे में FIR ka full form,FIR कैसे किया जाता है इसके क्या नियम कानून है जानेंगे इस पोस्ट में!
आज के समय में लगातार अपराध बढ़ते जा रहे है हर रोज ऐसे हज़ारो घटना सुनने को मिलती है दुनिया जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है वही दूसरी और अपराध भी दिन पे दिन बढ़ते जा रहे ऐसे में आपको जानना बहुत ही जरुरी हो जाता है की हम एफआईआर कैसे दर्ज कर सकते है और एफआईआर करने के क्या नियम कानून होते है!
तो आज के पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएँगे एफआईआर क्या होता है और इसे कैसे करते है !
Table of Contents
FIR full form – एफआईआर का फुल फॉर्म
एफआईआर का फुल फॉर्म First Information Report होता है !
FIR ka matlab – एफआईआर का मतलब
एफआईआर का मतलब फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट होता है जिसे हिंदी में प्रथम सूचना रिपोर्ट कहते है । यह पुलिस द्वारा संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना प्राप्त होने पर तैयार किया गया एक लिखित दस्तावेज है।
यह आम तौर पर पीड़ित या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दायर की गई शिकायत है। जब पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जाती है, तो एक हस्ताक्षरित प्रति पीड़ित या उसी व्यक्ति को भी दी जाती है जिसने प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार नहीं कर सकती क्योंकि यह कानून के खिलाफ है।
एफआईआर एक बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है क्योंकि यह आपराधिक न्याय की प्रक्रिया में मदद करता है। एफआईआर दर्ज होने के बाद ही पुलिस जांच शुरू कर सकती है। एक बार प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, उच्च न्यायालय या भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अलावा प्राथमिकी की सामग्री को बदला नहीं जा सकता है।
एफआईआर रजिस्टर में जानकारी हर थाने में रखी जाती है।
एक एफआईआर पेज में निम्नलिखित जानकारी होती है।
- FIR Number
- पीड़ित का नाम या शिकायत करने वाले व्यक्ति का नाम
- अपराधी का नाम और विवरण (यदि ज्ञात हो)
- अपराध का विवरण
- अपराध का स्थान और समय
- गवाह, यदि कोई हो।
FIR karne ke niyam – एफआईआर दर्ज करने के नियम
- संज्ञेय अपराध के कमीशन के बारे में जानने वाला कोई भी व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज कर सकता है।
- जब किसी भी संज्ञेय अपराध के होने की सूचना मौखिक रूप से एक पुलिस को दी जाती है तब पुलिस को इसे अवश्य लिखना चाहिए।
- पीड़ित या शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति को यह मांग करने का अधिकार है कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई जानकारी को उसे पढ़ा जाए।
- एक बार जानकारी दर्ज हो जाने के बाद, उस पर सूचना देने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर होने चाहिए। यदि व्यक्ति लिख नहीं सकता है, तो वह दस्तावेज़ पर बाएं अंगूठे का निशान लगा सकता है।
- FIR दर्ज करने के बाद आपको FIR की कॉपी ले लेनी चाहिए. यदि पुलिस आपको उपलब्ध नहीं कराती है तो एफआईआर की प्रति निःशुल्क मांगना आपका अधिकार है।
यह भी पढ़े :-
MLA full form – MLA kaise bante hai ?
conclusion
आज के इस पोस्ट में हमने बात की एफआईआर क्या है और कैसे करते है और इसके क्या नियम है आसान शब्दों में बोला जाये तो एफआईआर एक दस्तावेज होता है जो की पीड़ित या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दायर की गई शिकायत होता है
उम्मीद करता हूँ यह पोस्ट आपको पसंद हो अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल रह गया हो तो कमेंट कर के पूछ सकते है !
धन्यवाद !!